Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -05-Aug-2022 - नायक

समझौता हर कोई करता,
नायक कभी नहीं डरता।
फौज में नायक का पद,
हवलदार से छोटा उसका कद।
दो रंग की पट्टी वो बांधे,
फिर भी उसके ऊंचे होते कांधे।
समझौता खुशी से गम के मिलन का,
आंसुओं से भीगे चेहरे की शिकन का।
मुखौटा लगा छुपाता उदासी,
दिखाना नहीं चाहता अपनी हताशी।
समझौता जिंदगी और मौत में होता,
जीवन का बोझ हर कोई ढोता।
जीने के लिए हर कोई परेशान,
मौत को देख हर कोई हैरान।
समझौता वक्त से भी करना पड़ता,
समय के साथ साथ चलना पड़ता।
जो सह जाए वक्त के थपेड़े,
उसी को है मिलते मीठे पेड़े।
जिसने न सीखा समय से चलना,
उसी को पड़ता यहां पर ढलना।
समझौता स्वाभिमान से भी हो जाए,
अभिमान जब अपना फन फैलाए।
झुक जाते त्यागकर अहम को हम,
मन में उमड़े हुए छोड़ वहम को हम।
समझौता हर रिश्ता है चाहता,
अहंकार को नहीं वह अपनाता।
मान मर्यादा रिश्ते की रखते,
समझौते से दूसरे को परखते।
कभी झुक नायक जिंदगी का जाता,
कभी बनकर खलनायक बैंड बजाता।।


#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)



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6 Comments

Punam verma

06-Aug-2022 10:04 PM

Very nice

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Abhinav ji

06-Aug-2022 07:29 AM

Very nice👍

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MR SID

05-Aug-2022 10:30 PM

Nice

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